Tuesday, November 30, 2010

सफ़र.........Suffer

एक सफ़र वो था एक suffer ये भी है
वो तेरे साथ था...ये तेरे बगैर है

उसके कट जाने का गम था
इसके ना कटने की तकलीफ है

एक सफ़र वो था एक suffer ये भी है
वो तेरे साथ था...ये तेरे गम में है

उस सफ़र को मै याद करता रहता हु
और उसी की याद में suffer करता हु

अब तो सिर्फ बाकि है कुछ तस्वीरे
और अनगिनत यादें

मुझे तस्वीरे अच्छी लगती है
और कुछ हद तक यादें भी

दोनों ही तकलीफ देती है
पर " जिंदगी " भर साथ तो देती है

मैंने आज तक तस्वीरों को बदलते हुवे नहीं देखा है
और ना ही यादों को

अब इंतजार है इस बात का की ये Suffer
मुझे उस सफ़र पर ले जाये................

......जहा से कोई लौट के नहीं आता है

Saturday, November 27, 2010

मै अकेला

कमरा खाली मन खाली
दीवारे सूनी मै अकेला

कभी जीता कभी हारा
" जिंदगी " ने खिलाया मै खेला

कभी भरा तो कभी सूना
मेरे मन का ये कोना

भरा पूरा है जीवन का मेला
चारो तरफ भीड़ ही भीड़ फिर भी मै अकेला

मेरा मन निर्विकार जैसे....... एक खाली प्याला
सुबह जिसमे डलती है चाय शाम को बन जाये मय का प्याला

यारो के साथ बैठा तो गले में उतरता है निवाला
वरना तो भूखा ही सोता है ये मतवाला


तेरी हँसी ने तेरी आँखों ने पागल बना डाला
कमरा खाली मन खाली
दीवारे सूनी मै अकेला

Monday, November 15, 2010

रिश्ते :

रिश्ते :


बनते बिघडते, टूटते सवरते, रोते सिसकते हसते हँसाते,


जायज़ नाजायज़, कुछ अपने कुछ पराये,


कई बार Facebook के रिश्ते नजदीक हो जाते है तो कई बार पास के रिश्ते भी दूर हो के Facebook तक सिमित हो जाते है


कुछ चाहे कुछ अनचाहे, कुछ स्वप्निल तो कुछ बोझिल,


कुछ मन को छुने वाले और कुछ अनछुए से


कुछ पास हो के भी दूर और कुछ दूर हो के भी पास


कुछ याद ना आने वाले और कुछ याद आने वाले


तो कुछ याद आ के रुलाने वाले


कुछ पक्के तो कुछ कच्चे


कुछ सुबह की पहली कच्ची धुप जैसे मेरे मन को सहलाते हुवे तो


कुछ बारिश की पहली फुहारों जैसे मुझे अन्दर बाहर से भीगा देने वाले


कुछ तुम्हारी आँखों जैसे गहरे और


कुछ तुम्हारी हंसी जैसे निश्चल


कुछ ताश के पत्तो के महल जैसे कमजोर तो


कुछ मेरी चाहत जैसे पुरजोर


लोग मिलते है और रिश्ते बन जाते है


कुछ लोग कोशिश करते है की रिश्ते ना बने और कुछ करते है की बन जाये


मुझे समझ में नहीं आता की जब लोग रिश्ते बनाते है या बनने देते है तो


उसे इतनी आसानी से तोड़ कैसे देते है या यु कहो की टूटने कैसे देते है


क्या उन्हें तकलीफ नहीं होती है और होती है तो वो दिखती क्यों नहीं


या वो दिखाना नहीं चाहते है, और उससे क्या हासिल होता है


कम से कम मै ये समझ नहीं पा रहा हु,


मुझे तो बड़ी तकलीफ होती है


शायद मै ज़माने से थोडा पीछे हूँ,


पर लगता है मै जहाँ हु वही ठीक हु,


मुझमे ना उन जैसे बनने की ना ताकत है........


और ना ही चाहत है

अजनबी.....

अब मुझे खुद से बाते करने में डर लगता है

क्योकि मुझे पता है

या तो मुझे मेरे सवालो के जवाब नहीं आते

या फिर मै उन जवाबो से डरता हु

कोशिश कर रहा हु की मै खुद से ही अजनबी हो जाऊ

समंदर के किनारे................

आज फिर मै उस समंदर के किनारे गया था

वो मुझे कुछ बदला बदला सा लगा

ना तो उसकी लहरों में वो संगीत था

और ना ही सबको अपने आगोश में लेने का वो जोश

पता नहीं ये सच में हुवा है या मुझे ऐसा लगा

मैंने वहा उस boat को भी देखा वो उसी तरह खड़ी थी

जैसे हम उसे उस रात छोड़ के आये थे एकदम अकेली

आज मुझे ऐसा लगा जैसे मै उसके दर्द को समझता हु

मै भी उसकी तरह ही हो गया हु तनहा

और कर रहा हु इंतजार

की तुम लहर बन कर आओगी

और मुझे फिर एक बार अपने होने का अहसास होगा

और इसी आस में मै समंदर की हर लहर को देख रहा हु

पता नहीं किसमे तुम्हारा अक्स नजर आ जाये

तुम जल्दी आओ, मुझे डर है

कही मेरे पैरो के निचे से रेत ना खिसक जाये

Friday, November 5, 2010

जिंदगी

आज फिर एक जाम तेरे नाम पिया है, जिंदगी का हर लम्हा तेरे नाम जिया है

अब इस जिंदगी का मै क्या करू " जिंदगी "....मैंने तो हर साँस को तेरे नाम किया है

सिर्फ याद.....

माना की अब तुम्हारे पास मेरे लिए वक़्त नहीं और अब तुम्हे मेरी जरुरत भी नहीं

पर साथ बिताये लम्हों की याद तुम्हे भी आती तो होगी...सताती भी होगी

याद.....

गर अब तुम्हारे मिजाज ठीक हो और तुम्हे चंद लम्हों की फुरसत हो

तो जरा हमें भी याद कर लेना...हम तो तुम्हारी याद में खुद को भुलाये बैठे है

Monday, November 1, 2010

यादें...............

सोचा था की तेरे यादों को अपने जेहन से मिटा दूंगा...........
पर अब लगता है की इससे आसान तो खुद के वजूद को मिटाना होगा...