जब भी
मै तुझसे
खफा होता हु
तो सोचता हु की
अब
तुझसे
कभी बात नहीं करूँगा
ठान लेता हु
बस
अब बहुत हो चुका
पर
हर बार
हार जाता हु
तुझसे भी
और
अपने आप से भी
पर वो हार भी
तो
कही अन्दर से
मुझे अच्छी लगती है
शायद
मै हर वक़्त
यही
मन्नत मांगता हु
की मै कभी
कभी भी
तुम से
जीत ना पाऊ
और
खुद से
भी
Tuesday, May 24, 2011
Sunday, May 22, 2011
आग
बस्ती जल रही थी
आग फैली थी
चारो तरफ
सिर्फ
आग
बस
आग
भड़क रही थी
हर तरफ
बस्ती में
पेट में
मन में
आग
दुःख की
गुस्से की
प्रतिशोध की
पर
ना तो वो आग
उनके आंसू सुखा पा रही थी
और
ना ही उनके आंसू
उस आग को बुझा पा रहे थे
आग फैली थी
चारो तरफ
सिर्फ
आग
बस
आग
भड़क रही थी
हर तरफ
बस्ती में
पेट में
मन में
आग
दुःख की
गुस्से की
प्रतिशोध की
पर
ना तो वो आग
उनके आंसू सुखा पा रही थी
और
ना ही उनके आंसू
उस आग को बुझा पा रहे थे
Wednesday, May 18, 2011
चाँद
तेरा मेरा हमराज ये चाँद
इस काली स्याह रात में
राह भटकता होगा चाँद
कभी तुम्हे तो कभी मुझे
याद करता होगा चाँद
कभी समंदर की लहरों में
अपने आप को खोजता होगा चाँद
तो कभी चंपा के फूलों के पीछे
आंसू बहाता होगा चाँद
तेरे मेरे जिंदगी के कितना करीब है ये चाँद
वैसे तो मैंने चाँद को
हर रोज तिल तिल टूटते हुवे देखा है
कभी खुदसे तो कभी
दुसरो से रुठते हुवे देखा है
शायद उसकी उम्मीद
उसे फिर ले आती है
कभी उसे
तो कभी मुझे रुलाती है
शायद..... शायद
मेरी उम्मीदों का चाँद भी
कुछ इस कदर ही
बनता बिखरता होगा
कभी खुद रोता तो
कभी मुझे रुलाता होगा
इस काली स्याह रात में
राह भटकता होगा चाँद
कभी तुम्हे तो कभी मुझे
याद करता होगा चाँद
कभी समंदर की लहरों में
अपने आप को खोजता होगा चाँद
तो कभी चंपा के फूलों के पीछे
आंसू बहाता होगा चाँद
तेरे मेरे जिंदगी के कितना करीब है ये चाँद
वैसे तो मैंने चाँद को
हर रोज तिल तिल टूटते हुवे देखा है
कभी खुदसे तो कभी
दुसरो से रुठते हुवे देखा है
शायद उसकी उम्मीद
उसे फिर ले आती है
कभी उसे
तो कभी मुझे रुलाती है
शायद..... शायद
मेरी उम्मीदों का चाँद भी
कुछ इस कदर ही
बनता बिखरता होगा
कभी खुद रोता तो
कभी मुझे रुलाता होगा
बारिश
जिंदगी भर झुलसता ही रहा
कभी सूरज की अगन से
तो कभी मन की तपन से
चार दिनों के लिए आई थी तुम बारिश बन के
अब वही यादें
आंसू बन कर
मेरी आँखों को भीगा रहे है
कभी सूरज की अगन से
तो कभी मन की तपन से
चार दिनों के लिए आई थी तुम बारिश बन के
अब वही यादें
आंसू बन कर
मेरी आँखों को भीगा रहे है
Sunday, May 15, 2011
खुदकुशी
खुदकुशी
जिंदगी में कई ब़ार सोचा है की
ख़ुदकुशी कर लू
इस तरह घुट घुट के मरने से तो अच्छा है
एक ही ब़ार में खुद को मुक्त कर लू
पर फिर दिखता है
वो चेहरा जिसने मुझे बांध रखा है
या वो सपने जिन्होंने
ये दिल थाम रखा है
अब भी उम्मीद है
तुमसे मिलने की
जानता हु ये
मृग मरीचिका है
पर कुछ और जीने का
ये बहाना बना रखा है
हर रोज सांसों को बची हुई
रेजगारी की तरह खर्च कर रहा हु
और हर सुबह ऊपर वाले साहूकार से
नया कर्ज मांग रहा हु
जानता हु की ये क़र्ज़ चुका ना पाउँगा
और किसी दिवालिये की तरह
जिंदगी के बाज़ार से उठ जाऊंगा
पर हर रोज जीतने की उम्मीद में नया दाव लगा रहा हु
कभी खुद को तो कभी जिंदगी को आजमां रहा हु
एक गुजारिश है तुझसे
इसके पहले की साहूकार अपना हिसाब मांग ले
मुझसे एक ब़ार मिल जा
ताकि मुझे ख़ुदकुशी से पहले ही
मुक्ति मिल जाये
जिंदगी में कई ब़ार सोचा है की
ख़ुदकुशी कर लू
इस तरह घुट घुट के मरने से तो अच्छा है
एक ही ब़ार में खुद को मुक्त कर लू
पर फिर दिखता है
वो चेहरा जिसने मुझे बांध रखा है
या वो सपने जिन्होंने
ये दिल थाम रखा है
अब भी उम्मीद है
तुमसे मिलने की
जानता हु ये
मृग मरीचिका है
पर कुछ और जीने का
ये बहाना बना रखा है
हर रोज सांसों को बची हुई
रेजगारी की तरह खर्च कर रहा हु
और हर सुबह ऊपर वाले साहूकार से
नया कर्ज मांग रहा हु
जानता हु की ये क़र्ज़ चुका ना पाउँगा
और किसी दिवालिये की तरह
जिंदगी के बाज़ार से उठ जाऊंगा
पर हर रोज जीतने की उम्मीद में नया दाव लगा रहा हु
कभी खुद को तो कभी जिंदगी को आजमां रहा हु
एक गुजारिश है तुझसे
इसके पहले की साहूकार अपना हिसाब मांग ले
मुझसे एक ब़ार मिल जा
ताकि मुझे ख़ुदकुशी से पहले ही
मुक्ति मिल जाये
Monday, May 9, 2011
रिश्ता
मेरा,
जिंदगी और दर्द से अजीब सा रिश्ता है
जिंदगी ने मुझे दर्द दिया
और अब
दर्द मुझसे जिंदगी ले लेगा
जिंदगी और दर्द से अजीब सा रिश्ता है
जिंदगी ने मुझे दर्द दिया
और अब
दर्द मुझसे जिंदगी ले लेगा
Sunday, May 8, 2011
वो एक बहती हुई नदी
वो एक बहती हुई नदी
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
वो एक बहती हुई नदी
अविरत - अविचल अपने गंतव्य की और बढती हुई
जैसे किसी से मिलने की आस में
दौड़ रही है वो प्यासी नदी
लहराती बलखाती अपने ही मस्ती में बढती हुई
मानो सूरज का आना और जाना उसने देखा ना हो
कभी एकदम शांत और सोच में डूबी हुई
तो कभी विकराल रूप धारण करके फुफकारती हुई
कभी ख़ुशी में आ के सबके साथ अठखेलिया करती
और कभी गुस्से में उफन के सबको मिटाने को दौड़ती
कभी सबको अपने आगोश में लेती
तो कभी अपने आप में सिमट के ख़ामोशी से बहती हुई
वो एक बहती हुई नदी
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
दोनों किनारों के बिच में बहती हुई
जैसे दोहरी जिंदगी जी रही हो
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
अपने आप में उलझी हुई
थोड़ी सी खोई हुई
कुछ अलसाई सी
थोड़ी सी सोई हुई
कभी अचानक जागती सी
थोड़ी बोखलाई सी
पर एकदम अकेली सी
वो एक बहती हुई नदी
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
वो एक बहती हुई नदी
अविरत - अविचल अपने गंतव्य की और बढती हुई
जैसे किसी से मिलने की आस में
दौड़ रही है वो प्यासी नदी
लहराती बलखाती अपने ही मस्ती में बढती हुई
मानो सूरज का आना और जाना उसने देखा ना हो
कभी एकदम शांत और सोच में डूबी हुई
तो कभी विकराल रूप धारण करके फुफकारती हुई
कभी ख़ुशी में आ के सबके साथ अठखेलिया करती
और कभी गुस्से में उफन के सबको मिटाने को दौड़ती
कभी सबको अपने आगोश में लेती
तो कभी अपने आप में सिमट के ख़ामोशी से बहती हुई
वो एक बहती हुई नदी
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
दोनों किनारों के बिच में बहती हुई
जैसे दोहरी जिंदगी जी रही हो
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
अपने आप में उलझी हुई
थोड़ी सी खोई हुई
कुछ अलसाई सी
थोड़ी सी सोई हुई
कभी अचानक जागती सी
थोड़ी बोखलाई सी
पर एकदम अकेली सी
वो एक बहती हुई नदी
बिलकुल मेरी जिंदगी के मानिंद
Tuesday, May 3, 2011
क़र्ज़
एक कोशिश है तेरी यादों का क़र्ज़ मेरे आंसुओ से चुकाने की
सिर्फ एक कोशिश ही है कामयाबी की उम्मीद नहीं
वैसे भी मुझे पता है मै तेरा क़र्ज़ ना उतार पाउँगा
और ये भी चाहता हु की ताउम्र तेरा कर्जदार रहू
तेरी हंसी तेरी आँखें उनकी यादें बड़ी अनमोल है
जिंदगी भी लुटा दू एक कतरा ना चुका पाउँगा
मेरे इंतजार को रश्क है उस मल्लाह से
जो किनारे पे करता है इंतजार लहरों का
तकलीफ मुझे तेरे इंतजार से नहीं
डरता हु कही सांस दगा ना दे जाये
सिर्फ एक तेरा हक है मेरी जिंदगी पे
या तो इसे अपना ले
या फिर
कर दे रिहा इसे अपनी कैद से
सिर्फ एक कोशिश ही है कामयाबी की उम्मीद नहीं
वैसे भी मुझे पता है मै तेरा क़र्ज़ ना उतार पाउँगा
और ये भी चाहता हु की ताउम्र तेरा कर्जदार रहू
तेरी हंसी तेरी आँखें उनकी यादें बड़ी अनमोल है
जिंदगी भी लुटा दू एक कतरा ना चुका पाउँगा
मेरे इंतजार को रश्क है उस मल्लाह से
जो किनारे पे करता है इंतजार लहरों का
तकलीफ मुझे तेरे इंतजार से नहीं
डरता हु कही सांस दगा ना दे जाये
सिर्फ एक तेरा हक है मेरी जिंदगी पे
या तो इसे अपना ले
या फिर
कर दे रिहा इसे अपनी कैद से
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