Sunday, November 18, 2012

एक बारिश

एक बारिश


अल्हड सी

मस्ती भरी

सुहानी

छुई - मुई सी

गुदगुदाती

हसाती

नाचती -नचाती

खुशिया बिखेरती



एक बारिश

बिखरी हुई

घबरायी सी

बिलखती सी

आँसु बहाती

खुद रोती

मुझे रुलाती



एक बारिश

अक्सर घिर के आती

पर बरस ना पाती

तडपती

उलझती

उलझाती

इंतज़ार करती

और करवाती





एक बारिश

क्रोधित सी

विकराल रूप धारण करती

गरजती...लरजती

बरसती..

बिजली को अपना शस्त्र बनाती

धरती पे वो प्रलय लाती



एक बारिश



खेलती

इठलाती

मुस्कुराती



बूंदों की धून

पे पग थिरकाती



बादलों के संग

ख्वाब बुनती

धुप के साथ ब्याह रचाती

इन्द्रधनुष की चुनर ले के

अपनी हंसी को छुपाती



एक बारिश

मेरी अपनी

कभी ऐसी

तो कभी वैसी

मुझे हर रूप दिखाती

पर

मुझे हर रूप में भाती



एक बारिश



सिर्फ मेरी



मेरी अपनी



~ अभय

Friday, November 2, 2012

मंदिर वही बनायेंगे

आओ खोले एक धंदा


मै खोजता हु एक पत्थर

तुम खोजो एक बंदा



पत्थर को सिंदूर लगायेंगे

फूलों से उसे सजायेंगे

मंदिर वही बनायेंगे



मै बढ़ाऊंगा दाढ़ी

चल निकलेगी अपनी गाड़ी



छोटीसी होगी कुटिया

धीरे से फैलेगा जाल

बन जायेंगे भू-माफिया



पट्ठे अपने बनायेगे

धंदा उनको सिखायेंगे



फूल - नारियल का होगा होलसेल

ताबीज, रुद्राक्ष, लॉकेट और माला

बुरी नजर वाले तेरा मुह काला



लोगो की होगी भीड़

होगी जूतम -पैजार

खूब मचेगा हाहाकार

कुछ जेबे कटेंगी

कुछ इज्जते फटेंगी

होगी अपराधो की भरमार



कुछ दिमाग कुछ हाथ की सफाई

खूब दिखायेंगे चमत्कार

होगा धार्मिक बलात्कार



अन्धविश्वास को देंगे बढ़ावा

आएगा जमके चढ़ावा



लोग होंगे लाचार

खूब चमकेगा व्यापार

भक्त क्या भगवान भी गश खायेंगे

हम मंदिर वही बनायेंगे



~ अभय