Friday, November 2, 2012

मंदिर वही बनायेंगे

आओ खोले एक धंदा


मै खोजता हु एक पत्थर

तुम खोजो एक बंदा



पत्थर को सिंदूर लगायेंगे

फूलों से उसे सजायेंगे

मंदिर वही बनायेंगे



मै बढ़ाऊंगा दाढ़ी

चल निकलेगी अपनी गाड़ी



छोटीसी होगी कुटिया

धीरे से फैलेगा जाल

बन जायेंगे भू-माफिया



पट्ठे अपने बनायेगे

धंदा उनको सिखायेंगे



फूल - नारियल का होगा होलसेल

ताबीज, रुद्राक्ष, लॉकेट और माला

बुरी नजर वाले तेरा मुह काला



लोगो की होगी भीड़

होगी जूतम -पैजार

खूब मचेगा हाहाकार

कुछ जेबे कटेंगी

कुछ इज्जते फटेंगी

होगी अपराधो की भरमार



कुछ दिमाग कुछ हाथ की सफाई

खूब दिखायेंगे चमत्कार

होगा धार्मिक बलात्कार



अन्धविश्वास को देंगे बढ़ावा

आएगा जमके चढ़ावा



लोग होंगे लाचार

खूब चमकेगा व्यापार

भक्त क्या भगवान भी गश खायेंगे

हम मंदिर वही बनायेंगे



~ अभय

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