Wednesday, August 3, 2011

अल्फाज

अल्फाज

काफी सारे

कुछ तुमने कहे

और शायद कुछ मैंने भी

जो मैंने कहे थे वो अब भी मुझे याद है

और जो तुमने कहे थे

वो तो मै कभी भूल ही नहीं सकता


मुझे तो

वो अल्फाज भी याद है

जो तुमने कभी कहे ही नहीं

उसके लिए तुम्हारी आँखे ही काफी थी

जानता था की ये अल्फाजो का मायाजाल है

फिर भी उसमे उलझना अच्छा लगता था


वो शायद तुम्हारी हंसी का असर था

या फिर तुम्हारी मासूम आँखों का जादू था

जो तुम्हारी जुबां से ज्यादा बोलती थी


मै अब भी तय नहीं कर पा रहा हु की

मै तुम्हारी आँखों में

ज्यादा उलझता था या

तुम्हारी जुल्फों में

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