Saturday, November 26, 2011

जिंदगी तेरे नाम

सर्दियों की शाम अक्सर उदास होती है

एक अजीब सा सन्नाटा होता है

जो मुझे झझकोर देता है

और मै बैचैनी से

ढूंढने लगता हु

उस सूरज को

जिससे

अपने हिस्से

की मुट्ठी भर

धुप ले सकू

जिसकी

नर्म गर्माहट

मुझे तेरी

याद दिलाये

ताकि

मै

कुछ दिन

और

साँस ले सकू

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