Friday, March 23, 2012

अब मैंने बरदाश्त करना सीख लिया है

अब मैंने बरदाश्त करना सीख लिया है
इस अकेलेपन को
इस तनहाई को
सुनी दीवारों को
इस अँधेरे को

लोगो के तानो को
अपनों के उलाहनो को
अब मैंने बरदाश्त करना सीख लिया है

दुश्मन की चाल को
अपनों के जाल को
अब मैंने बरदाश्त करना सीख लिया है

परायों के जुल्म को
अपनों के इल्म को
अब मैंने बरदाश्त करना सीख लिया है

दूसरो के वार को
अपनों के प्यार को
मैंने हर " नकाब " को बरदाश्त करना सीख लिया है

" नकाबो " की मुस्कुराहटो को
उनके " अपनेपन " को
अब मैंने बरदाश्त करना सीख लिया है

और भी काफी कुछ सीखा है मैंने

जैसे

खुद से नफरत करना

जजबातों का गला घोटना

खुद से अजनबी होना

साँस लेना

और

उसे याद रखना

की साँस लेना है

और फिर


कुछ देर और

जिन्दा रहना

बस नहीं

सीख पाया हु

मै अब तक

तुम्हे भूलना

और

तुम्हारे बगैर जीना

और शायद सीख भी नहीं पाउँगा

~ अभय

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