Saturday, April 14, 2012

फिर ..एक...ब़ार

हर सवाल का का जवाब नहीं होता
पर फिर भी हम सवाल पूछते है

कभी खुदसे कभी दुसरो से
पर अक्सर खुद ही जवाब देते है
दूसरो से पूछे सवालो का भी
या फिर उम्मीद करते है
की वो भी वही जवाब दे


हर उम्मीद पूरी नहीं होती है
फिर भी हम उम्मीद करते है

कभी खुदसे कभी दूसरो से
पर अक्सर दुसरो से ज्यादा
और फिर सपने देखते है
उम्मीदे पूरी होने के


हर सपना सच नहीं होता है
चाहे छोटा हो या बड़ा हो

फिर भी हम सपने देखते है
और सपनो में खो जाते है
जब तक की कोई उसे तोड़
के हमें धरती पे ना गिरा दे
और फिर हम जख्म पाते है


हर जख्म ठीक नहीं होता
चाहे सतही हो या गहरा हो

फिर भी हम वक़्त की दुहाई देते है
की वक़्त के साथ हर जख्म भर ही जायेगा

और फिर एक ब़ार

सवाल पूछते है

उम्मीद करते है

सपने देखते है

नए जख्म पाते है

क्योंकि

जिंदगी है

और हम

जिंदगी के

हाथो मजबूर है

~ अभय

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