मै तुम्हे उस दिन मिला था, 
मै तुम्हे परसों मिला था 
मै तुम्हे कल मिला था 
मै तुम्हे आज भी मिला था, उसी जगह पे 
जहा हम अक्सर मिलते थे, 
 
रेस्तरा में, coffee house में, आइसक्रीम पार्लर में, 
ट्रेन में, taxi में, shopping mall में, 
स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पे, 
फ़ोन पे, sms पे, ईमेल पे, 
 
तस्वीर में, कविता में, कहानी में, किताब में,
ख़त में, चिठ्ठी में, सन्देश में, 
मेरी पुरानी jeans में, जिसमे तुमने कुछ लिखा था,  
 
सुबह की कच्ची धुप में, दोपहर में छत पे, शाम की लम्बी परछाइयो में, 
बारिश की पहली फुहारों में, टूटे हुवे छाते के निचे,
नदी के किनारे पे नाव के इंतजार में,
मल्लाह के गाने की आवाज में,    
 
पहाड़ी पर से उतरते हुवे, पगडण्डी पे चलते हुवे, 
आसमान के निचे, दरख़्त के पीछे, 
समंदर के किनारे की रेत पे......जहाँ हम रास्ता भटक गए थे,  
 
सोते हुवे, जागते हुवे, 
यादों के गलियारे में, ख्वाबों में, खयालो में, एहसास में, आभास में,
हंसी में, आसुओ में, साँसों में,
 
सच तो ये है, तुम अब भी हर कही हो 
हर कतरे में, हर लम्हे में, मेरे वजूद में, 
मेरी सांसो में, मेरी जिंदगी में, 
 
तुम मुझसे अलग नहीं हो सकती 
क्योंकि तुम ही  मेरी जिंदगी हो,
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