सर्दियों की शाम अक्सर उदास होती है
एक अजीब सा सन्नाटा होता है
जो मुझे झझकोर देता है
और मै बैचैनी से
ढूंढने लगता हु
उस सूरज को
जिससे
अपने हिस्से
की मुट्ठी भर
धुप ले सकू
जिसकी
नर्म गर्माहट
मुझे तेरी
याद दिलाये
ताकि
मै
कुछ दिन
और
साँस ले सकू
Saturday, November 26, 2011
Tuesday, November 15, 2011
पहेली
दिल अक्सर तुमसे खफा होता है
और फिर
तुम्हे मनाने का तरीका भी ढूंढ़ता है
ये बागी रहता तो मेरे सीने में है
पर हरवक्त तुम्हारे इशारो पर धड़कता है
और फिर
तुम्हे मनाने का तरीका भी ढूंढ़ता है
ये बागी रहता तो मेरे सीने में है
पर हरवक्त तुम्हारे इशारो पर धड़कता है
Sunday, November 6, 2011
अँधेरा
सर्दियों में शाम कुछ जल्दी आती है
और अक्सर उदास कर जाती है
दूर कही उठता हुवा वो सिगडी का धुवा
और
सूरज के जाने के बाद तंग करने वाली
ठंडी हवाए
पेड़ो के लम्बे होते हुवे साये
और
बोझिल सन्नाटे में से किसी के गाने की आती हुवी आवाज
इन सब की जैसे अब आदत सी हो गयी है
दिये की लौ कभी कांपती हुवी
तो कभी अडिग हो कर जलती हुवी
मेरे अस्तित्व को चुनौती देती हुवी
मै उसे बुझा देता हु
क्योंकि मै उसकी चुनौती से डरता हु शायद
या फिर शायद
मुझे ये अँधेरा अच्छा लगने लगा है
और अक्सर उदास कर जाती है
दूर कही उठता हुवा वो सिगडी का धुवा
और
सूरज के जाने के बाद तंग करने वाली
ठंडी हवाए
पेड़ो के लम्बे होते हुवे साये
और
बोझिल सन्नाटे में से किसी के गाने की आती हुवी आवाज
इन सब की जैसे अब आदत सी हो गयी है
दिये की लौ कभी कांपती हुवी
तो कभी अडिग हो कर जलती हुवी
मेरे अस्तित्व को चुनौती देती हुवी
मै उसे बुझा देता हु
क्योंकि मै उसकी चुनौती से डरता हु शायद
या फिर शायद
मुझे ये अँधेरा अच्छा लगने लगा है
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