घर में ही रह पाता काश मै 
बेघर हो गया रोटी की तलाश में
चाहता था लाना साथ में अपनी जमीं भी 
पर सिर्फ ला पाया मुट्ठी भर आकाश मै
थोड़ी सी यादें भी है कुछ अच्छी कुछ बुरी 
थोडा दर्द  और उसके काफी ज्यादा अहसास भी 
और लाया हु अपने हिस्से का सूरज
जिसकी तपन में जला रहा हु अपने अहसास मै
No comments:
Post a Comment