अब जब जख्म भर चले है तो 
क्यों तुम मुझे याद आते हो 
 
      अब जाकर मै इस भुलावे में आया था 
की मै तुम्हे भूलने लगा हु 
 
    फिर एक ब़ार मेरे जिंदगी में आ के  
क्यों मुझे सताते हो  
 
     जानता हु  ये द्वन्द है  मेरा.. मेरे मन से ही 
चेतन मन का अचेतन मन से 
     
     बड़ी मुश्किल से इस मन ने उस मन को समझाया है 
अब फिर से  क्यों उसे रुलाते हो 
 
    अब जब जख्म भर चले है तो 
क्यों तुम मुझे याद आते हो 
 
    जिंदगी के लम्हों को उलझा के  
मैंने इन सांसों को सुलझाया है 
 
   फिर एक ब़ार अपनी निगाहों से 
सुलझी  सांसों को क्यों उलझाते हो 
      
  अब जब जख्म भर चले है तो 
क्यों तुम मुझे याद आते हो 
  
    अब मै लहरों से दोस्ती करके 
समंदर के आगोश में जाना चाहता हु 
 
   तो फिर क्यों आवाज दे के 
मुझे वापस बुलाते  हो 
 
 अब जब जख्म भर चले है तो 
क्यों तुम मुझे याद आते हो
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