Tuesday, June 5, 2012

तबादले

जब भी जाना होता है किसी दुसरे शहर


तो होता है दर्द अपना शहर छोड़ने का



बड़ी मुश्किल होती है उस शहर को अपनाने में

और उससे भी ज्यादा अपने शहर को भूल जाने में



कुछ दिक्कते कुछ फासले

नयी गलिया नए रिश्ते

थोड़ी दिक्कते बड़ी मुश्किलें



पता नहीं तकलीफ नयी जगह में

जाने की होती है या

पुरानी जगह छोड़ने की



कुछ यादें अक्सर

याद आती है पुराने शहर की

नए शहर जा के भी



और तकलीफ देते है वो लोग

जो पुराने शहर में छुट गए है



खैर



अब तो जैसे आदत सी हो गयी है

हर वक़्त शहर बदलने की

नए को अपनाने की

पुराने को भुलाने की



अक्सर कुछ दिनों में

नया शहर भी समझ में आने लगता है

कुछ जगह जानी पहचानी लगती है

और कुछ लोग भी



एक डर सा होता है मन में

नए रिश्ते बनाते वक़्त

की

एक दिन तो आएगा

जब इनसे भी बिछड़ना होगा



तकलीफ होगी फिर एक ब़ार

जैसे अक्सर होती है



ओढना होगा नकाब फिर एक ब़ार

बिंदास रहने का

छुपानी होंगी तकलीफे

और करनी होगी तैय्यारी



नए शहर को समझने की

अपनाने की

पुराने को भुलाने की



फिर एक ब़ार

भीड़ में खो जाने की



~ अभय

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