अस्पताल के बरामदे में बैठा वो इंतज़ार कर रहा था
पता नहीं किस खबर का ...अच्छी या बुरी
डॉक्टर कहते है
अब उसके पिताजी का बचना शायद नामुमकिन है
या फिर वो बच भी सकते है ...सब कुछ उपरवाले के हाथ में है
पर साथ में ये भी कहते है की इलाज करवाते रहो
शायद कुछ फर्क पड़ ही जाये
उसका दिमाग ये गुत्थी
सुलझा नहीं पा रहा था
एक तरफ था
अस्पताल का रोज का घूमता हुवा जबरदस्त मीटर
सामने वाले मेडिकल का बढ़ता हुवा बिल
घर में डटे हुवे रिश्तेदारों की खातिरदारी में हो रही
नुक्कड़ के दुकान वाले बनिए की कमाई
और
रोज होने वाली काम की छुट्टी ... बगैर वेतन के
और दूसरी तरफ है
पिताजी की चिंता ...थोडा प्यार
और
मन के किसी कोने में दबी हुई एक कमजोर उम्मीद
उनके बच जाने की
फिर एक मन कहता है
की व्यर्थ है ये सब ...१ महीने पहले ही डॉक्टर ने बुला लिया था
सब रिश्तेदारों को
तबसे पड़े है सब यही पे मुफ्त की रोटिया तोड़ते हुवे
और पिताजी तब से देहलीज पे खड़े है
लगता है बंद करो ये सब और ले चलो उन्हें घर
पर सताता है डर
समाज और रिश्तेदारों की उपरोध भरी निगाहों, उपदेश और उलाहनो का
की बेटा नालायक निकला
ना चाहकर भी एक स्वार्थी विचार उसके मन को छु जाता है
की शायद प्रकृति ही उसकी सहायता करे
और सारी समस्याओ का अंत हो जाये
उनकी भी और मेरी भी
~अभय
पता नहीं किस खबर का ...अच्छी या बुरी
डॉक्टर कहते है
अब उसके पिताजी का बचना शायद नामुमकिन है
या फिर वो बच भी सकते है ...सब कुछ उपरवाले के हाथ में है
पर साथ में ये भी कहते है की इलाज करवाते रहो
शायद कुछ फर्क पड़ ही जाये
उसका दिमाग ये गुत्थी
सुलझा नहीं पा रहा था
एक तरफ था
अस्पताल का रोज का घूमता हुवा जबरदस्त मीटर
सामने वाले मेडिकल का बढ़ता हुवा बिल
घर में डटे हुवे रिश्तेदारों की खातिरदारी में हो रही
नुक्कड़ के दुकान वाले बनिए की कमाई
और
रोज होने वाली काम की छुट्टी ... बगैर वेतन के
और दूसरी तरफ है
पिताजी की चिंता ...थोडा प्यार
और
मन के किसी कोने में दबी हुई एक कमजोर उम्मीद
उनके बच जाने की
फिर एक मन कहता है
की व्यर्थ है ये सब ...१ महीने पहले ही डॉक्टर ने बुला लिया था
सब रिश्तेदारों को
तबसे पड़े है सब यही पे मुफ्त की रोटिया तोड़ते हुवे
और पिताजी तब से देहलीज पे खड़े है
लगता है बंद करो ये सब और ले चलो उन्हें घर
पर सताता है डर
समाज और रिश्तेदारों की उपरोध भरी निगाहों, उपदेश और उलाहनो का
की बेटा नालायक निकला
ना चाहकर भी एक स्वार्थी विचार उसके मन को छु जाता है
की शायद प्रकृति ही उसकी सहायता करे
और सारी समस्याओ का अंत हो जाये
उनकी भी और मेरी भी
~अभय
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