मैंने कई बार चाहा है
खुद ही खुद को खत्म करना
और कोशिश भी की है
नहीं मै आत्महत्या की बात नहीं कर रहा हु
जानता हु वो बुजदिलो का काम है
मै तो बात कर रहा हु
शायद कही उससे आगे
जब जरुरत होती है
अपने विचारो का गला घोटने की
अपनी अभिव्यक्ति को मिटाने की
जानता हु की वो सबसे बड़ी हार है
शायद वो सब करना भी मेरी मज़बूरी थी
या अब भी है
या फिर समझोता था
कुछ खुद से और कुछ ज़माने से
कुछ सांसे उधार लेने का
ताकि जिंदगी चला सकू
अगली लढाई के लिए
जो मै लढ़ रहा हु
ताकि मेरी अगली नस्ल
साँस ले सके
और उन्हें जरुरत न पड़े
लढने की
अपने आप से
और इस समाज से
छोटी छोटी बातों के लिए
और गिरना न पड़े
अपनी ही नजरो में
जैसे मै गिरा हु
कई बार
फिर से उठने के लिए
bahut hi sundar kavitayen hain..Abhay..
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