मैंने देखा था एक ख्वाब
 
झील सी आँखों का
खनकती  हंसी  का 
 
शहद सी बोली का
   
 
अब भी रखा है उसे सहेज के 
 
अपने तकिये के निचे 
 
मन के किसी कोने में 
 
यादों की चौकट में 
 
मेरी सांसो में 
 
मेरी धड़कन में 
 
तुम्हारी हंसी में  
 
मेरे  आँसुओ में  
 
देखता हु उसे निकाल के
 
जब भी होता हु अकेला 
 
या फिर 
जब होना चाहता हु अकेला,
 
यादों में तुम्हारी खोने के लिए
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