फासले
कुछ चाहे
 
कुछ अनचाहे
 
धीरे धीरे बढ़ते हुवे
 
तुम्हारे मेरे दरमियान 
 
और मेरी सांसो के बिच भी 
 
कई ब़ार मै तय नहीं कर पाता हू
 
की सांस लेना ज्यादा मुश्किल है 
 
या फिर तुमसे मिलने की कोशिश करना
 
वैसे एक बात तो तय है 
 
अगर मै तुमसे नहीं मिल सकता तो 
 
मुझे सांस लेने की भी जरुरत नहीं है 
 
पता नहीं अब कितना वक़्त बचा है 
 
सोचता हु सांस लेने से बेहतर है 
 
एक ब़ार फिर तुमसे मिलने की कोशिश ही कर लू 
 
इस उम्मीद के साथ की शायद 
 
आंखरी सांस तुम्हारी बाँहों में ले लू 
 
और सारे फासले खत्म हो जाये
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