अल्फाज 
 
काफी सारे 
कुछ तुमने कहे 
और शायद कुछ मैंने भी
जो मैंने कहे थे वो अब भी मुझे याद है
और जो तुमने कहे थे  
वो तो मै कभी भूल ही नहीं सकता
 
मुझे तो 
वो अल्फाज भी याद है 
जो तुमने कभी कहे ही नहीं 
उसके लिए तुम्हारी आँखे ही काफी थी 
 
जानता था की ये अल्फाजो  का मायाजाल है
फिर भी उसमे उलझना अच्छा लगता था
 
वो शायद तुम्हारी हंसी का असर था 
या फिर तुम्हारी मासूम आँखों का जादू था 
जो तुम्हारी जुबां से ज्यादा बोलती थी 
मै अब भी तय नहीं कर पा रहा हु की 
मै तुम्हारी आँखों में 
ज्यादा उलझता था या 
तुम्हारी जुल्फों में
No comments:
Post a Comment