मै तब जैसा था
आज भी
वैसा ही हु
पर शायद
अब
तुम्हारा नजरिया ही बदल गया है
वैसे और भी कुछ बदला है
मेरी जिंदगी में
अब मैंने समंदर पे जाना छोड़ दिया है
मुझे डर है कही
वो अकेली नाव
किनारे की ठंडी रेत
नारियल के वो पेड़
समंदर की लहरें
चंपा के मासूम फूल
वो अजनबी जिसने हमें रास्ता बताया था
और वो पुलिस वाला जिसने हमें धमकाया था
हमने इकट्ठी की हुई सीपिया
रात की तनहाई
सुबह का सूरज
ये सब
तुम्हारे बारे में ना पुछ ले
क्या जवाब दूंगा मै उन्हें
की मैंने तुम्हे खो दिया
या अपने आप को
या की अब मै
खुद ही को नहीं
पहचानता
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