Monday, April 25, 2011

खानाबदोश

मानो तो ये जिंदगी मस्त है न मानो तो पस्त है

हर कदम पे तूफान है तो उसे पार करने की ताकत भी है


हर अगले मोड़ पे धोका है तो

कभी कभी ठंडी हवा का झोका भी है


कभी फाकों में भी मस्ती का आलम है

तो कभी भरे पेट भी किसी बात का गम है


कभी यारों का साथ है

और कभी दुश्मनों की बारात है


वैसे तो ये जिंदगी का दस्तूर है

पर शायद ये बेवजह ही मगरूर है


खैर जिंदगी तो जिंदगी है

इसपे मरना मेरी बंदगी है


शायद इसकी बेरुखी मेरी जान लेगी


या फिर


इसकी चाहत में मै दम तोडूंगा

No comments:

Post a Comment