Monday, April 4, 2011

फासले

फासले

कुछ चाहे

कुछ अनचाहे

धीरे धीरे बढ़ते हुवे

तुम्हारे मेरे दरमियान

और मेरी सांसो के बिच भी

कई ब़ार मै तय नहीं कर पाता हू

की सांस लेना ज्यादा मुश्किल है

या फिर तुमसे मिलने की कोशिश करना

वैसे एक बात तो तय है

अगर मै तुमसे नहीं मिल सकता तो

मुझे सांस लेने की भी जरुरत नहीं है

पता नहीं अब कितना वक़्त बचा है

सोचता हु सांस लेने से बेहतर है

एक ब़ार फिर तुमसे मिलने की कोशिश ही कर लू

इस उम्मीद के साथ की शायद

आंखरी सांस तुम्हारी बाँहों में ले लू

और सारे फासले खत्म हो जाये

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