Sunday, December 5, 2010

मै फिर सांस लेने लगता हु

मै सांस लेता हु इसलिए मै जिन्दा हु
या शायद मै जिन्दा हु इसलिए मै सांस लेता हु

खैर ये बात तय है की मै जिन्दा हु

अब तक ये बात ना कभी मैंने सोची
और ना ही किसीने मुझे बताई

खैर उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता है वैसे भी अब तो ये बात खुल ही गयी है

और भी कई बाते है जो अब मेरे समझ में आ रही है
जैसे मै महसूस करता हु या कर सकता हु
मुझे कभी कभी ख़ुशी भी होती है
और कई बार गम भी

हा मुझे दर्द भी होता है
और तकलीफ भी

कभी कभी मुझे लोगो द्वारा की गयी नफरत, खुदगर्जी भी समझ में आ जाती है
और लोगो ने की हुई बेइज्जती भी
अक्सर बेइज्जती जब बड़े लोग ( मै उम्र की बात नहीं कर रहा हु, हैसियत या ओहदे की बात है जनाब ) करते है तो वो उसे स्पष्टवादिता का नाम देते है
और मै भी ऐसा ही समझता हु, और फिर मै उसे ठीक भी मान लेता हु........
....... और फिर सांस लेने लगता हु

कभी मुझे तकलीफ होती है तो कभी मै उसे दरकिनार कर देता हु
अक्सर दरकिनार ही करता हु.......मुझे पता है और कोई चारा नहीं है

शायद मुझे ये पता है की ऐसा नहीं किया तो लोग मुझे ही दरकिनार कर देंगे

अब आप ये मत समझना की मै कोई शिकायत कर रहा हु
क्योंकि मै इतना तो समझता हु की मै वो भी नहीं कर सकता
हम तो युही बात कर रहे है

जब कभी मेरे अपने मुझे आहत करते है
तो मै समझ नहीं पाता की मै क्या करू,
ना मै उनको दर्द पंहुचा सकता हु ना ही मै उनसे नाराज हो सकता हु
मै जानता हु की मेरे अपने काफी कम है और मै उनके बगैर नहीं रह सकता
उस खयाल मात्र से मुझे ज्यादा तकलीफ होने लगती है

तब मै अपने जिन्दा होने को कोसने लगता हु

पर फिर भी मेरी सांस चलती रहती है

मुझे ये भी समझ में आता है की लोग
मुझे चाहते है और मै खुश होता हु या होने की कोशिश करता हु

पर कुछ लोग होते है जो मुझे अक्सर तब तक चाहते है
जब तक उन्हें इस चाहने की जरुरत महसूस होती है
जरुरत के ख़त्म होते ही वो दूर हो जाते है और अगर कभी मै इस बात की शिकायत करता हु तो
वो इसे Understanding , Space जैसे Label लगाने लगते है

ये सब मेरी समझ में नहीं आता है तो मुझे कोफ़्त होने लगती है
पता नहीं क्यों पर फिर भी मै सांस लेता रहता हु


अब मै ये सोच रहा हु की मुझे ये सब समझ में क्यों आता है
शायद सोचना ही इस सारे फसाद की जड़ है
फिर मै सोचने लगता हु की इस सोचने को कैसे बंद करू
और जब मुझे इसका भी जवाब नहीं मिलता है तो

आदतन मै फिर सांस लेने लगता हु और सोचता हु की मै सांस क्यों लेता हु

शायद सांस लेना मेरी मज़बूरी है............
.......... और हा सोचना भी

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