Meri-Chitthi
Wednesday, May 18, 2011
बारिश
जिंदगी भर झुलसता ही रहा
कभी सूरज की अगन से
तो कभी मन की तपन से
चार दिनों के लिए आई थी तुम बारिश बन के
अब वही यादें
आंसू बन कर
मेरी आँखों को भीगा रहे है
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