जब भी
मै तुझसे
खफा होता हु
तो सोचता हु की
अब
तुझसे
कभी बात नहीं करूँगा
ठान लेता हु
बस
अब बहुत हो चुका
पर
हर बार
हार जाता हु
तुझसे भी
और
अपने आप से भी
पर वो हार भी
तो
कही अन्दर से
मुझे अच्छी लगती है
शायद
मै हर वक़्त
यही
मन्नत मांगता हु
की मै कभी
कभी भी
तुम से
जीत ना पाऊ
और
खुद से
भी
हां यही प्यार है..
ReplyDeleteसुन्दर अहसास लिए अच्छी रचना।
अरुण जी तहे दिल से शुक्रिया
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