Tuesday, May 24, 2011

मै और तुम

जब भी

मै तुझसे

खफा होता हु

तो सोचता हु की

अब

तुझसे

कभी बात नहीं करूँगा

ठान लेता हु

बस

अब बहुत हो चुका

पर

हर बार

हार जाता हु

तुझसे भी

और

अपने आप से भी

पर वो हार भी

तो

कही अन्दर से

मुझे अच्छी लगती है


शायद

मै हर वक़्त

यही

मन्नत मांगता हु

की मै कभी

कभी भी

तुम से

जीत ना पाऊ

और

खुद से

भी

2 comments:

  1. हां यही प्यार है..


    सुन्दर अहसास लिए अच्छी रचना।

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  2. अरुण जी तहे दिल से शुक्रिया

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