Sunday, May 22, 2011

आग

बस्ती जल रही थी

आग फैली थी

चारो तरफ

सिर्फ

आग

बस

आग

भड़क रही थी

हर तरफ

बस्ती में

पेट में

मन में

आग

दुःख की

गुस्से की

प्रतिशोध की

पर

ना तो वो आग

उनके आंसू सुखा पा रही थी

और

ना ही उनके आंसू

उस आग को बुझा पा रहे थे

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